रविवार, 30 मई 2021

जानते हो ये मोहब्बत कैसे करती है असर

 "जानते हो ये मोहब्बत कैसे करती है असर

आदमी हो आदमी से चूतिया हो जाओगे" 


आफाक की कहानी जारी है..


तो अफकवा का ज्यादा तर वक़्त शहनाज के साथ ग्राउंड की गैलेरी में बीतता और हमारा कैंटीन में ।  हम आफाक के पैसों से समोसा खाते और शहनाज बायरन ,मिल्टन ,शेक्सपीयर और कीट्स को समझते हुए उसका भेजा । 

और तीनों खुश थे ,

शहनाज भी ,

हम भी

 और आफाक भी 

और ईन बीन फत्ते के इस विन विन गेम में एक दिन खलल आ गया ।घोष बाबू जो कि अंग्रेज़ी के लेक्चरर थे ने एक दिन आफाक को शहनाज के साथ गैलरी में बैठे देख लिया । घोष बाबू भी आफाक की ही कद काठी के उनके सीनियर संस्करण से लगते थे । स्त्रियों से कुछ अतिरिक्त घृणा थी और उनका दृढ़ विश्वास था कि महान आत्माएं दुर्बल शरीर मे वास करती है और व्यक्ति तभी महान बनता है जब वह स्त्री की छाया से भी दूर रहे । पूर्व में इन दोनों कसौटियाँ पर खरे उतरने के कारण आफाक में वे जैसे भारत का भविष्य देखते थे । पर आज उन्होंने आफाक को शहनाज बेगम के साथ देख लिया था और कक्षा की तरफ जा रही उनकी देह में भीषण ताप का संचार हो गया था  और उनकी गति तेज़ हो गयी थी । 

क्लास में पहुच कर घोष बाबू ने चाक उठाया और कक्षा में प्रवेश करते हुए आफाक और शहनाज को कुछ पल घूरा और एकदम से पलट कर बोर्ड पर लिखने लगे ।


La Belle Dame sans Merci


वे पलटे उनकी नज़र आफाक पर ही थी । 

पढ़ो उन्होंने आफाक से कहा

आफाक मिनमिनाया

"ला बेले डेम सेंस मर्सी"


--क्या मतलब है इसका 


--The beautiful lady without mercy


घोष बाबू मुस्कुराए 

"लोग खूबसूरत स्त्रियों के पीछे पागल हो जाते हैं अपना भला बुरा भूल जाते है । 


प्रेम नारायण फिर फुसफुसाया " ई घोष बाबू का किसी से आंख नही मिला का?

किसी ने फुसफुसा कर जवाब दिया " इसका तरफ आंख उठा कर नही देखा किसी ने आंख क्या मिलेगा "

 हंसी आ गयी और घोष बाबू एक दम दहाड़े 


Is there anything to laugh?


 क्लास में फिर सन्नाटा छा गया

मेरे क्लास में मुझे डिसिप्लिन चहिए और वह  डिसिप्लिन मुझे अब दिखाई नही देता आफाक आलम सबसे ज्यादा पतन तुम्हारा हुआ है . 

आज क्लास कैंसिल रहेगा । मेरी तबियत आज ठीक नही है और वे तेजी से क्लास से बाहर निकल गए।

बाकी लोग भी निकल गए

आफाक सन्नपात की स्थिति में  बैठा था । गजेंदर ने आफाक के कंधे पर हाथ रखा। ""  चलो बे , जिल्ले इलाही चले गए और अनारकली भी निकल गयी तुम काहे जानी वाकर बने बैठे हो .।


--घोष बाबू गुस्सा हो गए. आफाक ने कहा


-और बैठो गैलरी में ।लाइब्रेरी में जाना था ,


--वहाँ लाइब्रेरियन बात नही करने देता है


---त साला इतना दिन हो गया बाते करते रहोगे ।लाइब्रेरी में पीछे की तरफ जो अलमारी है उधर निकल जाया करो किताब ढूंढने ,गजेंदर ने बायीं आंख दबाते हुए कहा


--कैसा बात करते है गजेंदर जी शहनाज ऐसी लड़की नही है


--शहनाज कैसी लड़की है ऊ त नही मालूम लेकिन तुमतो लड़का भी नही है 


क्या मतलब ?


--मतलब मोहब्बत करते हो न उससे


-- आफाक लजा गए आप भी क्या गजेंदर भाई


--सुनो ढेर नाटक मत करो ,सामने देखो ।लौंडिया को तुमसे मोहब्बत है या नही  इसको जांचने के तरीके ही यही है कि बढ़िया से ठोठ में ठोठ मिला कर चुम्मा ले लो ।चुम्मा मिल गया तो मोहब्बत पक्की और आनाकानी करे तो समझ लो तुम लोल हो ।और वह तुमको चिंटू बना कर गधा मजूरी करा रही है। मोहब्बत है तो मोहब्बत का मोहर लगना चाहिए ।


--कैसा बात करते है गजेंदर भाई मोहब्बत एक पाक लफ्ज़ है


---अच्छा भोसड़ी के 

तुम्हरी मोहब्बत पाक मोहब्बत

और जहां की झांट मोहब्बत

 लौंडिया चूतिया बना देती है यही सब अच्छा अच्छा बात बोलके .


गलत बात मत बोलिये ,जानते हैं शहनाज हमको ब्रूटस बोलती है .


ई कौन था बे?


जूलियस सीजर वाला । कल कह रही थी कि तुम मेरे भोले ब्रूटस हो लोग तुम्हारा फायदा उठा लेते है । 


गजेंदर  मुस्कुराया

 पुटुश जैसे हो और ब्रूटस बने का सपना घुसा हुआ है.


आप हम से जलते है गजेंदर भाई ।


बाकी किस्सा जारी है .......


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