शनिवार, 27 दिसंबर 2014

happy christmas की बाढ़ आ गयी फेसबुक पर। कुछ ऐसा ही होता है जब ईद होती है होली और दिवाली होती है। तो क्या हम इतने सहिष्णु हो गए हैं कि सभी धर्मो के  त्यौहार को उतनी ही उमंग से मनाये पर दिनों दिन दंगो की घटनाएँ और सांप्रदायिक घृणा के बढ़ता ग्राफ कुछ और कहता है। हम आज भी वैसे ही हैं जैसे तब थे जब दारा सिंह एक ईसाई पादरी को जिन्दा जला रहा था ,जब एक बड़ा पेड़ गिरा था और धरती हिल रही थी सिख मारे जा रहे थे ,जब मुंबई के धमाके हुए थे, जब गोधरा हुआ था और  गुजरात। पर बाज़ार ने हमें हैप्पी क्रिसमस भी बोलवाया ईद मुबारक भी और दिवाली की शुभ  कामनाये भी साथ ही उसने ये भी जोड़ दिया की ख़ुशी के  मौके पर कुछ मीठा हो जाए , फिर उसने कैडबरी चॉकलेट बताये और ये भी बताता गया साथ  कि खोया नकली मिलता है इसलिए मोहल्ले की दुकान से मिठाई मत खरीदना , इन त्योहारों पर वो ये भी बताना नही भूला कि त्योहारों पर तोहफे नही दिए तो त्यौहार अधूरा ही रह जाएगा। कुछ त्योहारों को बाजार ने पुनरपरिभासित किया और कई नए  गढ़े भी ,,जैसे वेलेंटाइन्स डे जो कि सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ और पहले ये एक दिन का था फिर पूरा सप्ताह इस के नाम हुआ क्युकी बाजार ने सर्वाधिक सम्भावनाये यही देखी। हमे पता भी न चला कि ये सरे त्यौहार कब हमारे जीवन का हिस्सा बन गए , और हम इनके उपभोक्ता।  बेहतर होता कि एक षड़यंत्र ऐसा भी होता कि हम इन सभी त्योहारों को बाजार के मकड़जाल से परे भी मनाना सीख गए होते। तब शायद न चर्च जलाये जा रहे होते और न मंदिर और मस्जिद के लिए आंदोलन हो रहा होता। 

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

एक तरफ हम बात करते हैं की प्रत्येक बालक अपने आप में अनूठा है  दूसरी तरफ  सबका सामान्यीकरण कर के एक सिलेबस का निर्माण भी करते हैं और  प्रयास कि  बालक इस सिलेबस  को पढ़े यह उस के लिए उपयोगी है।  M  L  L  भी बना लेते हैं की मियां इतना तो इसे आना ही चाहिए। मुझे लगता है यह बालक और उसकी  स्वतंत्रता में दखलंदाज़ी है उसके मन मस्तिस्क को जबरिया मोल्ड करने का   तरीका है।

शनिवार, 6 दिसंबर 2014

पुतलियों के बहुत सारे गुण  होते हैं ,,वे बेमतलब की बहस नहीं करती ,,,,,कला के प्रति उनका कोई अशोभनीय दृष्टिकोण नही होता ,,,,उनका अपना कोई निजी जीवन नही होता जो कार्य में बाधा उत्पन्न करे ,,,,,और  वे खुद को बनाने वाले के प्रति बुरी सोच भी नही रखती ,,,,इसीलिए मैं अब पुतलियों को अपनी बात कहने का माध्यम बेहतर माध्यम समझता हूँ ,,,,,,मुझे किसी बेवक़ूफ़ एक्टर की जरूरत नहीं।