खूब पिलाई राजा जानी
सब व्योपारी घर के अंदर
रिश्तेदारी घर के अंदर
मरे मजूरा घर के अंदर
तुलसी सूरा घर के अंदर
हक्का बक्का घर के अंदर
कलम बुदक्का घर केअंदर
बस दारू को छूट मिलेगी
दारू खाली कोष भरेगी
नियम धरम सब रक्खो ताक
लॉक डाउन की माँ की आंख
हमसे बोले घर मे बैठो,
दिया जलाओ थाल बजाओ
योग करो और गाना गाओ
सब कुछ लेकिन घर के अंदर
बाहर निकले लट्ठ बजेगा
देश द्रोह का बैज सजेगा
खुले हाथ से दान करो तुम
,खुद पर भी अभिमान करो तुम
ग्रेट देश की ग्रेट प्रजा हो
ग्रेट है संकट ग्रेट बनो तुम
छुआ छूत का रोग है बच्चा
,काहे किसी का थ्रेट बनो तुम
सुनी तुम्हारी मन की बातें ,
सब बातें थी बड़ी सुहानी
खूब कहीं थी राजा जानी
तुम बन गए लीडर नूरानी
अब लगता बौराय गए हो ,
या दबाव में आय गए हो
नशा माफिया हावी है
तुम ठेका सब खुलवाय रहे हो
सुना है इस से कोष भरेगा
भारत को समृद्ध करेगा
लगे हाथ कुछ और भी कर लो
जो खाली है वह भी भर लो
जुआ अपहरण सट्टेबाजी,
लूट डकैती रंडीबाजी
ये सब भी कानूनी करदो
और इन सब पर टैक्स लगादो
मुद्रा कोष के भाग जगा दो
सभी खजाने भर जाएंगे
क्या होगा कुछ लोग बेचारे
तड़प सिसक कर मर जाएंगे
ठेका ही क्यों कोठा खोलो
और भी गिर करऊंचा सोचो
मुन्नी बाई नाचें और तुम
खीसें काढ़े गजरा बेंचो
तभी बेचारे राम राज्य के
सपने पूरे हो पाएंगे
लाज शरम बेचनी पड़ेगी
तभी खजाने भर पाएंगे
हे भारत के भाग्य विधाता
मर गया क्या आंखों का पानी
खूब पिलाई राजा जानी
----–---------------- ----------------राम जनम
सब व्योपारी घर के अंदर
रिश्तेदारी घर के अंदर
मरे मजूरा घर के अंदर
तुलसी सूरा घर के अंदर
हक्का बक्का घर के अंदर
कलम बुदक्का घर केअंदर
बस दारू को छूट मिलेगी
दारू खाली कोष भरेगी
नियम धरम सब रक्खो ताक
लॉक डाउन की माँ की आंख
हमसे बोले घर मे बैठो,
दिया जलाओ थाल बजाओ
योग करो और गाना गाओ
सब कुछ लेकिन घर के अंदर
बाहर निकले लट्ठ बजेगा
देश द्रोह का बैज सजेगा
खुले हाथ से दान करो तुम
,खुद पर भी अभिमान करो तुम
ग्रेट देश की ग्रेट प्रजा हो
ग्रेट है संकट ग्रेट बनो तुम
छुआ छूत का रोग है बच्चा
,काहे किसी का थ्रेट बनो तुम
सुनी तुम्हारी मन की बातें ,
सब बातें थी बड़ी सुहानी
खूब कहीं थी राजा जानी
तुम बन गए लीडर नूरानी
अब लगता बौराय गए हो ,
या दबाव में आय गए हो
नशा माफिया हावी है
तुम ठेका सब खुलवाय रहे हो
सुना है इस से कोष भरेगा
भारत को समृद्ध करेगा
लगे हाथ कुछ और भी कर लो
जो खाली है वह भी भर लो
जुआ अपहरण सट्टेबाजी,
लूट डकैती रंडीबाजी
ये सब भी कानूनी करदो
और इन सब पर टैक्स लगादो
मुद्रा कोष के भाग जगा दो
सभी खजाने भर जाएंगे
क्या होगा कुछ लोग बेचारे
तड़प सिसक कर मर जाएंगे
ठेका ही क्यों कोठा खोलो
और भी गिर करऊंचा सोचो
मुन्नी बाई नाचें और तुम
खीसें काढ़े गजरा बेंचो
तभी बेचारे राम राज्य के
सपने पूरे हो पाएंगे
लाज शरम बेचनी पड़ेगी
तभी खजाने भर पाएंगे
हे भारत के भाग्य विधाता
मर गया क्या आंखों का पानी
खूब पिलाई राजा जानी
----–---------------- ----------------राम जनम