अकबर के समय एक आदमी ईरान से हिंदुस्तान आया जिसका नाम था मिर्ज़ा गयास बेग । सयाना था , दरबार मे काम मिल गया और उसकी बेटी अक्सर मुग़ल रानियों के साथ उनके बच्चों के साथ खेलने लगी । इस बेटी का नाम मेहरुन्निसा था । वहीं जहांगीर ने उसे देखा । लड़की खूबसूरत थी और होशियार भी और जहांगीर जो उस समय सलीम हुआ करते थे उनमे बड़े बाप की बिगड़ी औलादों वाले सारे अवगुण थे ।
दरबार की अपनी राजनीति होती है और राजनीति, व्यापार ,ठेकेदारी में फायदा उठाने के लिए अक्सर औरतों का उपयोग होता रहा है । पहले भी चंद्रगुप्त मौर्य के समय मे हुआ था जब पर्वतराज की हत्या हो गयी थी आज कल भी हो ही रह है जैसे एक इंद्राणी मुखर्जी थी जैसे रिया चक्रवर्ती जैसे अन्य भी जिनके कारण संघ के एक प्रचारक जी का काम तमाम हो गया था ।
बहरहाल हम बात कर रहे थे मेहरुन्निसा और सलीम की तो मेहरुन्निसा सलीम को पसंद आ गयी वैसे उन्हें हर तीसरी लड़की पसंद आ जाया करती थी उनके जनान खाने भरे पड़े थे औरतों से तो मेहरुन्निसा भी पसंद आ गयी । या ऐसा कहें कि घेर के पसंद करवा दी गयी मेहरुन्निसा सलीम को । कौन जाने मिर्ज़ा गयास बेग का ही ख्वाब रहा हो हिंदुस्तान की मुगलिया सल्तनत में अपना प्रभाव बढ़ाने का । बात जो भी रही हो पर जब सलीम ने मेहरुन्निसा से इज़हार ए इश्क़ किया तो उसने साफ कह दिया कि पहले निकाह कीजिये उसके बाद ही हम आपके होंगे । बात जिल्ले इलाही यानी सलीम मियाँ के बाप जलालुद्दीन अकबर तक पहुँची । अकबर इस तरह के हरामीपन और अपने लौंडे की चूतियापने को पूरी तरह समझता था । दरबार मे उन दिनों कई गुट थे, ईरानी ,तुरानी ,अफगानी और हिन्दोस्तानी ,राजपूत ... ढेर सारे ऐसा समझ लीजिए अटल बिहारी की 13 दलों वाली सरकार थी और किसी भी गट के नाराज होने का मतलब था कुर्सी या तख्त का खतरे में आ जाना ।राणा प्रताप चुनौती दे रहे थे और मिर्ज़ा गयास बेग की लौंडिया अगर सलीम से निकाह कर लेती तो दरबार मे ईरानियों का प्रभाव बढ़ना शुरू होता और राजपूत इसे बर्दाश्त नही करते और यदि ऐसे में जिल्ले इलाही की सरकार से समर्थन वापिस ले लेते तो राजपुताना हाथ से निकल जाता जो कि एक बड़ी त्रासदी होती अकेला राणा प्रताप ही धुंआ भरे हुए था मुगलों के बाकी के अलग होते तो फोगिंग मशीन चल जाती । तो मियाँ अकबर ने इस हरामीपन को भांप लिया कि मिर्ज़ा गयास बेग दिल्ली सल्तनत का बलबन बना चाहता है । अकबर ने सलीम साहब की एक न मानी सलीम बाबू खूब रोये चिल्लाए औरऊल ऊल के गिर गिर पड़े पर अकबर ने उनकी एक न सुनते हुए मेहरुन्निसा की शादी शेर अफ़ग़ान से करवा दी और शेर अफ़ग़ान का ट्रांसफर दूर के इलाके बंगाल की जागीर बर्धमान कर दिया गया । अली कुली बर्धमान आ गए और अपनी बीबी के साथ यहाँ रहने लगे पर मेहरुन्निसा का भारत की प्रथम महिला बनने और गयास बेग का उस हैसियत को पाने का ख्वाब जो मनमोहन सिंह की सरकार में सोनिया गांधी का था कहीं ज्यादा शिद्दत से देखा गया था ।तो बकौल शारुख खान जब आप शिद्दत से कुछ चाहे तो कायनात भी आपको व्व देने की साजिश करती है । अलीकुली बीबी के साथ मजे में दिन गुज़र रहे थे एक बेटी भी हो चुकी थी । उधर अकबर मियाँ भी कमजोर हो चुके थे सलीम ताकत पा रहे थे ईरानी गट उनके साथ था लिहाजा एक दिन उन्होंने बंगाल के सूबेदार कुतुबुद्दीन कोका जो कि रिश्ते में सलीम का भाई भी था से अलीकुली को पकड़ कर लाने का हुक्म फरमाया । अलीकुली ने इस पर ऐतराज जताया और एक छोटा सा युद्ध जिसे युद्ध के स्थान पर झड़प या मुठभेड़ दोनो में हुई और बंगाल के सूबेदार कुतुबुद्दीन और बर्धमान के दुर्गाधिपति शेर अफ़ग़ान दोनो मारे गए ।सलीम को अपनी सल्तनत के एक और प्रतियोगी से निजात मिली और नूरजहाँ को साम्राज्ञी बनने की राह में रोड़े शेर अफ़ग़ान से। मेहरुन्निसा अपनी बेटी के साथ दोबारा से सलीम के जनानखाने पहुंच गई ।मिर्जा गयास बेग एत्मादुद्दौला के ख़ितब से नवाजे गए और कुछ दिनों बाद जहांगीर ने मेहरुन्निसा से बाकायदा निकाह किया और मेहरुन्निसा को नूरजहाँ के नाम से जाना जाने लगा । फिर ये भी सुना जाता है कि जहांगीर ने एक प्याला शराब के लिए पूरा हिंदुस्तान नूरजहाँ के क़दमो में रख दिया ।
खैर मेरे पीछे जो इमारत देख रहे हैं वह नूरजहाँ के उसी बदकिस्मत पहले पति शेर अफ़ग़ान की कब्र पर बना एक छोटा सा मक़बरा है ।
अब नूरजहाँ और मुमताज की कहानी फिर कभी