रविवार, 15 नवंबर 2015

कब आएगी असहिष्णुता

ए अमजद ।नाईट शो सिनेमा देखने जाते हो ।और गली में सीटी बजाते लौटते हो इंडिया इनटॉलेरेंस हो गया है कौनो दिन कोई कूच देगा ईंट से तो मत कहना।
जवाब में अमजद ने एक अश्लील सा इशारा करते हुए कहा घंटा इनटॉलेरेंस । भारत हमेशा से अत्यंत सहनशील देश रहा है और रहेगा यहाँ न बुरा देखा जाता है न सुना जाता है और न बुरे को बुरा कहा जाता है । हम आदमी से बन्दर हो चुके हैं ।अबे अभी सिनेमा देख कर लौट रहे हैं मॉल से 250 रुपैय्या का टिकट और 150 का दो समोसा 70 रुपया का एक लीटर पानी खरीदने में किसी की असहिष्णुता नही जागती इस से ज्यादा और सहिष्णुता क्या होगी बे ।

नगर निगम और नगर पालिका जहर के लेवल तक का पानी जनता को पहुंचाते हैं और वाटर टैक्स वसूलते हैं और आदमी इतना सहन शील है की बिना उफ़ किये RO मशीन लगवाता है । बत्ती नही आती तो पैसा वाला जनरेटर और गरीब आदमी ढिबरी जलाता है ।कोई पूछता है सवाल कि बिजली पानी का वादा अब दादा की उम्र का हो गया पर समस्या जस का तस।

 सड़क में गड्ढा की गड्ढा में सड़क और खाली दिल्ली में तड़क भड़क कभी किसी ने नहीं पूछा बे और जब तक नही पूछेगा हम नही मानेंगे कि असहिष्णुता बढ़ी है ।

रोज सड़क पर जाम लगता है ।पों पों पी पें होरन बजाते लोग घंटों खड़े रहते हैं सड़क पर कोई कभी आवाज नही उठाता की ठेला रेहड़ी और दुकानों का आधा सामान सड़क पर क्यों रखा है। पैदल चलता हुआ आदमी कभी असहिष्णु नहीं होता की उसका फुट पाथ कहाँ है।

ये देश जमूरों का है जहाँ मदारी कभी कहता है की देश में असहिष्णुता है और जमूरा कहता है हाँ उस्ताद असहिष्णुता है । मदारी कहता है ये गांधी का देश है और जमूरा चरखा चलता है । मदारी कहता है हम मंदिर यहीं बनाएंगे और जमूरा ईंट पत्थर ढोने लगता है। मदारी कहता है गरीबी हटाओ जमूरा गरीबों को भगा देता है ।मदारी कहता है फील गुड और जमूरा खीसें निपोर देता है ।
अबे हम तो चाहते हैं की असहिष्णुता हो देश में बेरोजगारी के खिलाफ,अशिक्षा कुशिक्षा और भेदभावपूर्ण शिक्षा के खिलाफ , कुपोषण के खिलाफ नशे के खिलाफ गैर बराबरी के खिलाफ  ।
अमजदवा ने बाल झटके और गीत गुनगुनाता हुआ आगे बढ़ गया