होंगे आप बहुत बड़े विद्वान परन्तु आपकी समस्त शिक्षण सिद्धांतों का सीधा सीधा अंत हो जाएगा जब आपको पता चलेगा कि आपकी कक्षा के दो बालक इसलिए विद्यालय नही आ रहे थे क्युकि वे अपने पिता के साथ भीख मांगने जाते हैं जिस से वे दो वक़्त की रोटी खा सकें। कुछ इसलिए नहीं आते क्युकी वे विद्यालय के समय में दूसरे खेत में आलू बीनते हुए मजदूरी करते हैं जिस से परिवार की आय में कुछ वृद्धि हो सके। कई बालिकाएं इस लिए विद्यालय नही आतीं क्युकि उनके माँ बाप मजदूरी करने गए हैं और उन्हें अपने छोटे भाई बहनो की देख रेख करनी है। पहले इस भूख के गणित को तो समझ लो फिर गढ़ना अपने शिक्षण के सिद्धांत। अन्यथा ये सभी सिद्धियाँ निष्प्रभावी होंगी।
शुक्रवार, 30 जनवरी 2015
मंगलवार, 20 जनवरी 2015
मंगलवार, 6 जनवरी 2015
सुदर्शन पटनायक जो की एक विश्व प्रसिद्द रेत की कलाकृतियां बनाने वाले कलाकार हैं की कलाकृति के सामने तस्वीर खिचवाते समय मैं ये सोच रहा था की सैफई महोत्सव न होता तो क्या साधारण ग्रामीण जन अपनी आँखों से देख पाते उन व्यक्तित्वों से जिन्हे सिर्फ टेलीविजन या अख़बारों में देख पाते हैं , प्रसिद्द खिलाडियों के मैच ,,,,सिनेमा के परदे के सितारों को । मुझे नहीं लगता की किसी को भी आपत्ति होनी चाहिए ग्रामीण जनता को हक़ है की उन सब चीजों से परिचित होने का जो सिर्फ राजधानियों और बड़े शहरों में ही केंद्रित हो चुके हैं। सैफई महोत्सव न सिर्फ इन सब चीजो को ग्रामीण जनता के समक्ष ला रहा है बल्कि स्थानीय जनता को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहा है।
सोमवार, 5 जनवरी 2015
छठवीं में पढ़ती है गायत्री। पढ़ने में अच्छी है ,खोखो भी खेलती है बहुत अच्छा। पिछलीबार जिले कीटीम में गयी थी और कानपुर हुए खेल प्रतियोगिताएं में जीत भी दिलाई थी इसने अपनी टीम को। इधर कुछ दिनों से गुमसुम सी रहती है। गणित के सवाल गलत हो जाते हैं। मैडम डाँटती है ,समझाती हैं फिर गलत , मन नही लगता उसका। अब खेलती भी नहीं। खेल के घंटे में जब लड़कियाँ खो खो खेलती हैं वो चुपचाप बैठी रहती है।
पिता अस्पताल से अब घर आ गया है गायत्री का। दोनों पैर काट दिए गए हैं उसके। पिछले दिनों एक्सीडेंट हो गया था। टेम्पो चलाया करता था। गायत्री की माँ प्यार से भी समझाती थी और झगड़ा भी खूब करती थी उसके पिता से की वो दारू की आदत छोड़ दे। गायत्री भी पिता से अक्सर रूठ जाती जब वो दारू पीकर घर आता था। कहती थी बात नही करेगी बदबू आती है मुह से दारू की।एक दिन दारू के नशे में टेम्पो समेत खड्ड में चला गया गायत्री का पिता,, बुरी तरह ज़ख़्मी हुआ था। उसके दोनों पैर काटने पड़े। अब दिन भर घर में पड़ा रहता है। गायत्री की माँ रो रो कर अपने भाग्य को कोसती रहती है। गायत्री का एक बड़ा भाई है राहुल, दसवीं में पढता था . पढ़ने लिखने में बहुत होसियार हैगायत्री को रोज गणित के सवाल हल करने की नयी तकनीकें बताता था और चुटकियों में सवाल हल हो जाते थे अंग्रेजी में बात करना सिखाता था वो गायत्री को , पर अब आगे की पढ़ाई शायद नही कर पायेगा। घर का खर्चचलाने के लिए सुखविंदर सिंह के ट्रक पर क्लीनर काकाम करने लगा है. कुछ दिनों में ड्राइवर हो जाएगा।
गायत्री अब क्लास में शोर भी नहीं मचाती। पहले कहा करती थी पढ़ लिख कर पुलिस में दरोगा बनेगी और सब को परेड करवाएगी ,तेज चल कह कर खूब हंसती थी। अब नहीं हँसती।
एक दिन जब मैडम ने प्यार से बहुत देर तक गायत्री से उसकेगुम सुम रहने का कारण पूछा तो गायत्री रो पड़ी और सुबकते बोली "मेरी आगे की पढाई कैसे होगी? "
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