मंगलवार, 5 मई 2015

का जी सब अइसहिये नही हो जाता है।  जो कुछ करिये उसके अनुरूप भेष बाना सब बनाना पड़ता है।
----हाँ तो बनाये नही हैं का ,,,कुरता पहिने हैं ,,,दाढ़ी बढ़ाये हैं ,,टोपियों पहिनते हैं ,,,केतना बार चादरऊदर  भी चढ़ाये हैं.   हर्र परसाद और बहेडालाल के घर का नून रोटियो खिला दिया तुम सब ,,,कहा की बाह समेटो तो बाह समेट  लिए कहा की कागज फाड़ो तो कागज फाड़   दिए  अब घामा में घुमवा रहे हो तो ओहो घूम रहे है। -केतना और धजा बनावें। 
------ ऊ सब तो ठीके किये थे लेकिन जांघ वाला देश घूमने चले गए तो सब घामा में घूमना फिरना बर्बाद न हो गया जी.
-------------कौन देश 
----थाईलैंड मरदे,,, थाई मने जांघ ही न होता है जी 
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-----ढेर अनुवाद  मत करिये। हमको  जीतना है गाँव के चुनाव उसमे दिमाग लगाइये की कैसे जीतेंगे। 
-------पप्पू बाबू आपका रिश्तेदारो सब खेला  ख़राब न कर देता है,,,,पाहुन से जेतना  कहो ,मनबे नही करते हैं। दिन भर करते हैं अखाडा में कसरत और जब मन किया  ट्रेक्टर ले के जिसका तिसका खेत  के हथियाने लगते हैं 
------ करेंगे नही हमारा पाहुन है मने पूरा गांव के पाहुन 
 अब ऐसा नही न चलेगा पप्पू बाबू
--- तो का करें ऊहो बता दीजिये।  
----- पप्पू बाबू  मन को रंगिये  इस गाँव के   रंग में हर्र परसाद और बहेडालाल  का नून रोटी खाने से नही चलेगा   चिंतन   इस बात का करिये कि इन  घरों में दोनों वक़्त का चूल्हा कैसे जलेगा। मन को रंगिये पप्पू बाबू कपडा रंगने दाढ़ी बढाने और बाँह समेटने से नही चलेगा। जब तक लोगों को आपमें अपना पनजर नहीं आताआपकी हर अदा बेशर्म ही होगी