मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

भैस भवानी

 टम्पू की भैंस एक छाक 5 किलो दूध देती थी और दूसरे छाक भी 5 किलो । तो दिन मजे में गुजर रहे थे कि भैंसिया ने एक छाक दूध देने बन्द कर दिया । खूब प्रयास हुआ पर ऊं हूँ। कितनो हरियरी दिखा दिखा के नाचा गया कि राजी बोल जा पर भैंसिया राजी न हुई और दूध बस एक टेम ही देने लगी और रोज 5 किलो का घाटा । 2 दिन बीत गए । टम्पू को परेशान देख टम्पू की घरवाली ने श्यामा भगत को बुलाया ।श्यामा भगत भइसियों की भगतई में माना हुआ भगत था ।भैंस को चाहे जैसी समस्या हो श्याम भगत की नीम के लच्छो से की गई झाड़ फूंक से भैंसिया के सब रोग हवा और भइसिया टनाटन ।टम्पू यह टोना टोटका ढोंग धतूरा  पसंद न करते थे इसलिए श्यामा भगत को तब बुलाया गया जब टम्पू घर पर नही थे । श्यामा ने नीम के पत्ते लिए और भैंस के मोह पर कुछ बुदबुदाते हुए पत्तों से मुँह पर झारने लगा ।बीच बीच मे जब तेज स्वर में'  "  भैरों " बोलता तो मिसेज टम्पू हाथ जोड़ लेती .।श्रीमान टम्पू भी टैब तक न जाने कहाँ से घूमते फिरते आ गए थे । टम्पू बाबू को देख कर या वैसे ही थोड़ी देर बाद मंत्र जाप शांत हो गया और श्यामा भगत की नजरे टम्पू से चार हुई तो श्यामा ने महसूस किया कि उधर से आग की लपटें निकल रही हैं ।बहरहाल लपटें तो न आई पर एक कड़कती आवाज आई 

" काय रे का कर रओ" 

भैंसिया झार रहे ठाकुर 

टम्पू बाबू का हाथ जूते की तरफ जाता देख भगत जी एक दम से सकपकाते हुए बोले 

मोय टेरो गओ ठाकुर त्याये बड़े वाले लड़का गए थे,  और मैन देख लई है भैंसिया मेरी समझ मे आय गयी कि जे दूध एक छाक काए नही दे रही ।

टम्पू बाबू का हाथ जूते के पास सधा

काए नही दे रही

एक छाक को दूध हवा बयार पी जात

कौन सी बयार

त्याओ इ कोई पुरखा है 

टम्पू बाबू मुस्कुराए

ओ रे भगत जहाँ अइये

श्याम भगत डरते डरते आया ,टम्पू बाबू बोले

हमाये पिता जी ने अपने जीवन मे खूब दूध घी खाया इसलिए उन्हें तो कोई इच्छा बची नही थी । उनके पिता जी ने भी खूब दूध मठा खाया और उनकी भी कोई इच्छा बची नही होगी । झब्बू बाबा पेल के दारू पीते थे इसलिए उन्हें दूध से कोई मतलब नही था इसलिए अब तू भगतई से बता कि बो पुरखा कौन था नही तो जूता खाबे को तैयार हो जा ।

टम्पू बाबू का हाथ जूते की तरफ बढा की मिसेज टम्पू एक दम से चिल्ला पड़ी कि होय जान देव भगतई का पता सही ही हो जाए ।

टम्पू बाबू ने न चाहते हुए भी मौन स्वीकृति दे दी और श्यामा  भगत ने काले कपड़े में लपेट कर एक ताबीज भैस के गले मे बांध दिया ।ताबीज की फीस 250 रुपये औरएक देसी का पौआ ।

भैंस ने अगले दिन भी दूध एक छाक ही दिया तो टम्पू बाबू से रह न गया और बड़बड़ाते हुए पातीराम डॉक्टर को बुला लाये और मिसेज टम्पू से कहा कि अगर भैंस दूध नही दे एहि तो उसका कारण कोई बीमारी होगी डॉक्टर सही बतायेगा ।

डॉक्टर पातीराम ने भैस को देखा परखा और गंभीर मुद्रा बना कर बोले कि भाई भैस को कोई बीमारी नही है न बुखार है न कोई और बात 

तो दूध काहे नही देती

ऐसा करो,  डॉक्टर साहब बोले , किसी भगत को बुला लो


श्यामा भगत ने ताबीज दी है ।मिसेज टम्पू ने कहा

श्यामा से नही होगा 

तो फिर 

ऐसा करो किसी मुसलमान भगत को बुलाओ

उधर टम्पू बाबू  का हाथ जूते की तरफ बढ़ रहा था ।

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